जिनके सामने व्याख्यान देना है वे सारे विद्यार्थी नही बल्कि सारे प्रोफेसर है वे भी सीनियर कोलेज के ये सुनकर शुरुआत में थोड़ा डर लगा था, कि इनके सामने मैं क्या बोलूंगा क्योंकि शिक्षकों से अबतक ज्ञान लेने की आदत है उनके सामने बोलना माने सूरज को रोशनी देना..
पर मंच पे जाने के बाद सोचा कि अगर इन्हें ये सारी बाते पता चले तो इनसे सिखनेवाले हजारो छात्रों तक ये उजाला पहुंच सकता है क्योंकि एक शिक्षक हजारो छात्रों को दिशा देते है, जिससे कई पीढ़िया बदल सकती है।
ये सोचकर फिर जब बोलना शुरू हुआ तो करीबन 1.5-2 घंटे तक बढ़िया संवाद रहा|
उन्होंने ढेर सारे सवाल पूछे जिसके जवाब देते वक्त समाजमे फैले हुए बहुत सारे मिथको को स्पष्ट कर पाया|
सवालोमे बढ़ती हिंसक घटनाए, गांधी आंबेडकर, भगतसिंह, पटेल, नेहरू, कस्तूरबा, आजके वर्तमान की इस अवस्था में प्यार, अहिंसा और भाईचारे से कैसे रहना चाहिए ऐसे बहुत सारे सवाल थे|
ऐसा प्रबोधन हर जगह होना चाहिए जिससे आगे की पीढ़ी तक हम अच्छे विचार और आदर्श पहुंचा कर उन्हें हम कट्टरता से बचा पाएंगे|
आदरणीय विधायक डॉ. सुधीरजी तांबे और सहकार महर्षी भाऊसाहेब थोरात कॉलेज के प्राध्यापक प्रबोधिनी ने गांधी अध्ययन केंद्र ने यह आयोजित किया उनके पूरे दिल से आभार|
स्पीच के बाद प्राचार्य जी के घर ये 3 बच्चे मिले और उनकी smile देखकर खुशी छा गयी|
आखिर में दुष्यंतकुमार के शब्द कहूंगा
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
संकेत मुनोत
Knowing Gandhism Global Friends
Jaihind people's Movement
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